यह शायद हमारा दुर्भाग्य कहे की सोभाग्य किहमारी कृषि नीति उन लोगो द्वारा बनाई जाती है जिन्हें न देश की कृषि विरासत की जानकारी है न ही भोअगोलिक विषम ताओ की ,वे सिर्फ़ कागजी घोडे है जो यस सर की परम्परा पर चलते हुए जी हुजूरी करते फिर रहे , कहने को तो देश मे कृषि विस्वविद्यालय है पर वो भी सिर्फ़ वर्चस्व की लड़ाई मे उलझे हुए है । लालफीताशाही का फंदा यहाँ भी मजबूत है और फाइलों पर ही काम होता है खेतो मे नही ।
छत्तीसगढ़ मे देखा जाए तो विगत वर्षो मे कई योजनाये लागू की गई लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नजर नही आता ,कृषि विभाग अपने महकमों से क्या कार्य कराती है कोई नही जानता , सिर्फ़ बजट को खर्च करना ही उनका उद्देश्य होता है , कृषि विभाग के आंकडे भी विस्वस्नीय नही होते है हर साल अपने लक्ष्य पूर्ति को सिर्फ़ कागज वृद्धि करते जाते है
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